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Showing posts from March, 2013

आधी सदी बाद कैसे होंगे भारत के शहर

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किसी परिचित जगह पर कुछ साल बाद जाओ तो एकबारगी सिर चकराना लाजिमी है। कोई भी ऐसी जगह जहां हमने लंबा वक्त बिताया हो ; या कोई ऐसा शहर या कस्बा, जिससे इतने समय तक वास्ता रहा हो कि वहां के गली-मोहल्लों से हम जान-पहचान बना पाए हों... ऐसी किसी जगह से फिर से रू-ब-रू होते ही हमारी हैरानी से लबालब प्रतिक्रियाएं कुछ इस तरह से होती हैं- ‘ अरे, कितना बदल गया सब कुछ.. लग रहा है किसी नई जगह आ गया हूं ! यहां पर तो सिनेमा हॉल होता था, यह मल्टीप्लेक्स कब बना ! और वहां... वहां हफ्ते में दो बार सब्जी मंडी लगती थी न... अब ये बीस मंजिला हाउसिंग सोसायटी... ! तो फिर सब्जी मंडी कहां लगती है... ? क्या ! वो लगती ही नहीं .. ! ओह... तो अब सब्जी की खरीदारी मेगास्टोर से हो जाती है... वाकई, बड़ी तरक्की कर गई यह जगह तो.. !!’ वगैरह, वगैरह...। कुल जमा बात यह कि वो परिचित जगह भी हमें नितांत अजनबी लगती है, मानो हमारे कदम वहां पहली बार पड़ रहे हों। यह तो तय है कि समय, हालात और जरूरत के मुताबिक परिवर्तन होने हैं, यह संसार का नियम है। लेकिन इन परिवर्तनों के साथ भी एक नियम जुड़ा है, और वो यह कि जो परिवर्त

...जब मिटता चला गया डेढ़ सहस्राब्दी का अंतराल

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उस्ताद शुजात खान। इमदादखानी घराने के उस्ताद शुजात खान मशहूर सितारवादक उस्ताद विलायत खान के बेटे हैं। पूरा वातावरण अ ल ौ किक था। एक तरफ कोई पंद्रह सौ बरस पुरानी गुफाओं में बने हिंदू मंदिर तथा बौद्ध चैत्य जो कभी मंत्रोच्चार से गुंजायमान रहते होंगे... और एक तरफ संगीत की लहरों में प्रतिध्वनित होती शामें जिन्हें सुरों के अनूठे मिलन ने एक अभूतपूर्व दिव्यता प्रदान कर दी। आत्मा वही थी ; स्वरलहरियों के कोलाहल के बीच चित्त में जा घुलने वाली शांति भी संभवतया एक-सी थी ; एक लय में बहती ध्वनियों के माध्यम से मन तथा मस्तिष्क में गहरे उतर जाने वाली निस्तब्धता की अनुभूति वहां यकीनन पहले भी रही होगी ; नृत्यकला की विभिन्न भाव-भंगिमाओं के आलोक में कंदराओं के पत्थर पहले भी आह्लादित हुए बिना नहीं रहे होंगे। यदि कोई अंतर महसूस हो रहा था तो डेढ़ सहस्राब्दी के उस अंतराल मात्र का जो इन दो समयकालों को अलग कर रहा था।   बीते सप्ताहांत अरब सागर में मौजूद एलिफेंटा द्वीप पर संगीत व कला की अभिव्यक्तियां अपने चरम पर थीं। यहां हर साल होने वाले एलिफेंटा महोत्सव को इस बार बौद्ध एवं हिंदू स्थापत्यकला के उन बेजोड़