प्यारे शाहरुख , इस फ़िल्म दर्शक की तुम्हें राम - राम भइया। ... लेकिन बधाई कतई नहीं। किसलिए दी जाए बधाई ?? अपने चाहने वालों का भरोसा तोड़ने के लिए ??? ` बिल्लू ´ किसलिए देखने गया होगा कोई ... सोचो , सोचो !! लारा दत्ता के लिए या इरफान के लिए ? जवाब तुमको भी पता है। लोग तुम्हारे लिए जाते हैं .. क्योंकि वो तुम्हें प्यार करते हैं , तुम्हें चाहते हैं। इमोशनल है सबके सब। पर तुमने क .. क .. क .. क .. क्या किया उनके साथ ! सवा दो घंटे तक घोर अत्याचार !! और फिर जाते - जाते मंच पर खड़े होकर दोस्ती के बारे में लंबी बयानबाजी कर गए और फिर से इमोशनल कर दिया। यानी , अत्याचार के बाद महा अत्याचार !! रेड चिली बैनर तले बनी तुम्हारी यह फ़िल्म इतनी फीकी निकलेगी कि बाद में ग्रीन चिली खाकर मुंह का स्वाद फिर से बनाना पड़े ... ऐसा नहीं सोचा था। और हां , फ़िल्म के शुरू में तुम्हारे क़िरदार ने ` बुदबुदा गांव ´ का नाम बुदबुदाया था ... वो भला क्योंकर ??? उसका लॉजिक तो आख़िर तक साफ नहीं हो पाया। तुम्हारे क़िरदार को पता था कि उसका बचपन का दोस्त वहीं मिलेगा ? यह तो सिर्फ फ़िल्म के निर्देशक प्रियदर्शन को