विरोध करने वालो! चलो ख़ुशी मनाते हैं
भारत की ग़रीबी को बेचने के नाम पर बहुत हो लिया विरोध , अब ख़ुशी मना ली जाए। ख़ुशी इस बात की कि ऑस्कर में भारत का झंडा इस शान से फहराया कि आज हर ज़ुबान पर ` जय हो ´ का नारा है , और जो नहीं जानते कि ´ जय हो ´ क्या है , वे भी इस ख़बर के सुरूर में झूम रहे हैं कि ऑस्कर के इतिहास में एक रात भारत के नाम रही , या कह लें कि अगला एक साल भारत के नाम रहेगा। तो फिर उन लोगों को क्या तकलीफ है जो पहले ही दिन से इस फ़िल्म का यह कहकर विरोध करते रहे हैं कि भारत की ग़रीबी को दिखाकर पैसा बटोरा जा रहा है। विरोध करने वालों से तीन सवाल हैं - पहला यह कि , क्या भारत में बनने वाली फ़िल्मों में कभी भारत की इस तस्वीर को नहीं दिखाया गया ? याद नहीं पड़ता कि मीरा नायर की ` सलाम बॉम्बे ´ पर कभी विवाद हुआ हो। दूसरा यह कि , क्या फ़िल्मों या किसी भी दूसरे ज़रिये से बाहर के मुल्कों तक भारत की बेहतर तस्वीर नहीं जाती। मसलन , बंगलुरु या हैदराबाद की वो तस्वीर जो सिलिकॉन वैली को मात देती दिखती है और मिस यूनिवर्स तथा मिस वर्ल्ड जैसे मुक़ाबले जिनमें भारत अलग ही रंग में सामने आता है। और तीसरा यह कि , क्या इस फ़िल्म में