हमला हमास पर या फलस्तीनियों पर?
अगर इज़रायल पूरी दुनिया से यह कहता फिर रहा है कि गाज़ा में उसके ताज़ातरीन हमले हमास के आतंकवादियों के खिलाफ हैं , तो वह सरासर झूठ बोल रहा है। मंगलवार को इज़रायली सेना जिन स्कूलों पर गोले दाग कर 46 से ज़्यादा बेगुनाह लोगों की मौत की वजह बनी , उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से चलाया जा रहा था। ऐसे करीब पच्चीस स्कूलों में पंद्रह हज़ार से ज़्यादा फलस्तीनी नागरिक पनाह लिए बैठे हैं। इनमें से कुछ स्कूलों पर ज़मीनी हमले किए जाने से साफ है कि यह आतंकवाद के खिलाफ इज़रायल की जंग नहीं है बल्कि एक ऐसा नकाब है जिसके पीछे वह अपनी असली करतूत छुपा रहा है। गाज़ा के शहरों में घुसी इज़रायली सेना ने पहले तो नागरिकों को अपनी जान की सलामती के लिए घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण लेने को कहा , और फिर उन्हीं ठिकानों पर हमला कर दिया जहां ये लोग खुद को सुरक्षित मान कर रहने चले गए थे। एक ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने इन स्कूलों को उन लोगों के लिए पनाहगाह में बदला था , जो हमास और इज़रायल के बीच चल रहे युद्ध में बेवजह पिस रहे थे। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की - मून ने इन हमलों की निंदा करते हुए बुधवार को