इस शिकारी के सब तीर निशाने पर
“ ज़िंदगी में हम कितना भी भटक लें, शारीरिक ज़रूरतें पूरी करने के पीछे कितना भी लगे रहें, लेकिन आख़िरकार हमारे लिए जो सवाल मायने रखेगा, वो यह कि क्या कोई ऐसा इन्सान है हमारी ज़िंदगी में जो हमसे वाकई प्यार करता है... एक ऐसा साथी जिस पर हम इतना भरोसा कर सकें कि हमें कभी झूठ का लबादा ओढ़कर न जीना पड़े ?” इस गंभीर-सी लगने वाली बात को संदेश के तौर पर लेकर चली फ़िल्म ‘ हंटर ’ सेक्स संबंध बनाने को बेसब्र रहने वाले युवा मंदार की ज़िंदगी के जरिये एक चुलबुली पेशकश के तौर पर सामने आती है। इतनी चुलबुली कि ‘ हंटर ’ अपने पूरी अवधि के दौरान हल्के-फुल्के मनोरंजन का अच्छा ज़रिया साबित होती है। इसकी ख़ूबसूरती यह है कि इसका विषय सेक्स पर केंद्रित होने के बावजूद यह सेक्स मसाले से भरपूर फ़िल्म नहीं है, बल्कि सेक्स के आदी हो चुके एक युवा की क़शमक़श को परदे पर लाती है। फ़िल्म का कथानक मंदार (गुलशन देवैया) नामक इंजीनियर के आस-पास घूमता है, जो यौन संबंधों को लेकर अपने आजाद ख़यालात की वजह से दोस्तों के बीच बेहद चर्चित है। फिल्म में बार-बार फ्लैशबैक में जाकर मंदार की ज़िंदगी की परतों में झांका जाता है