धरती पर जन्नत है मालदीव

समंदर के गहरे नीले पानी में नीलम की अंगूठियों की तरह छितराए छोटे-छोटे द्वीपों की तस्वीरें जब भी देखता था तो उल्लासभरा सुकून मन में भर जाता था। भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में मौजूद छोटे-से देश मालदीव के ये करीब 1100 द्वीप इस धरती को कुदरत के किसी नज़राने से कम नहीं हैं। करोड़ों साल से मूंगे के इकट्ठा होते जाने से बने ये द्वीप जब ऊपर से देखो तो हल्के नीले रंग के नज़र आते हैं और सफेद रेत वाले इनके किनारे समंदर में घुलते हुए लगते हैं।

बहुत बार होता कि एक बार -सिर्फ एक बार- इस नज़ारे को अपनी आंखों से देख पाऊं। पर वहां जाना और रहना इतना महंगा कि हर बार मन को मारना पड़ता। मालदीव के किसी रिज़ॉर्ट में रहने का मतलब विलासिता से रू--रू होना है... कांच की तरह साफ पानी, शांत लहरें, शोर-शराबे से कोसों दूर समुद्र के किनारे आराम से किताब पढऩा या कॉकटेल की चुस्कियां लेना, शानदार सी-फूड, सी-प्लेन की सवारी, और चाहो तो पानी के अंदर सैर भी कर लो! यूं समझिए कि किसी बेहद ख़ूबसूरत ख़्वाब का सच होना!

मेरा यह ख़्वाब हक़ीक़त में तब बदला जब पिछले साल दिसंबर में एक्वामरीन क्रूज़ शिप के चार दिन के टूर पर मैं कोच्चि से मालदीव के लिए रवाना हो गया। मालदीव में जो तज़ुर्बे हुए सो हुए, इस सात मंज़िला जहाज़ से वहां तक की 24 घंटे की यात्रा भी अपने-आप में रोमांच लिए थी। यह मेरा तीसरा क्रूज़ ट्रिप था, पर यकीनन सबसे ज़्यादा यादगार। इस सफ़र का बेहतरीन पहलू यह था कि मालदीव के किसी रिज़ॉर्ट में रुके बिना ही एक ख़ूबसूरत देश की यात्रा हो गई और वहां के नज़ारे मेरे ज़हन में हमेशा के लिए क़ैद हो गए।

कोच्चि के वेलिंगटन द्वीप से एक्वामरीन शाम के धुंधलके में रवाना हुआ। इसमें 1200 लोग एक साथ सफ़र कर सकते हैं। डूबते सूरज की लालिमा के बीच यह धीमी रफ्तार के साथ सागर के सीने को चीरता आगे बढ़ा तो कई कल्पनाएं लहरों की तरह मन में हिलोरें लेने लगीं। ज़्यादातर लोग उस वक़्त क्रूज़ शिप के सन डेक पर थे। क्रूज़ शिप, मतलब- तैरता होटल; सन डेक, मतलब- जहाज़ की छत। सन डेक पर सनसनाती हवा जब बालों से उलझती हुई निकलती है तो आज़ाद पंछी होने जैसा अहसास होता है।

एक्वामरीन में हर तरह की सहूलियत मौजूद थी- खाने-पीने से लेकर मौज-मस्ती तक। रेस्तरां में ऐसा कोई व्यंजन नहीं था जो मुंह में जाते ही घुल जाता हो। बच्चों के लिए एक्टिविटी सेंटर, तो बड़ों के लिए जिम्नेज़ियम। चाहे तो छठे डेक पर मीठी धूप में स्विमिंग पूल में नहाकर निकलें और किनारे पर मौजूद पूल बार में बैठकर कॉकटेल की चुस्कियां लें। किस्मत के धनी लोगों के लिए कैसिनो है, तो हर किसी के लिए रात में डेढ़-दो घंटे का एंटरटेनमेंट शो भी है। थक-हारकर केबिन में लौटेंगे तो आरामदायक बिस्तर और सुकूनभरा माहौल जल्द ही आपको थपकी देकर सुला देंगे।

कोच्चि से चलने के बाद अगली शाम हम मालदीव की राजधानी माले के निकट पहुंच गए। मोटरबोट हमें माले के तट तक ले गई। हमारे पास तीन घंटे थे घूमने-फिरने के लिए। माले छोटा-सा शहर है, लेकिन है बहुत प्यारा और व्यवस्थित। यहां कई जगह घूमने-फिरने लायक हैं, ख़ासकर इस्लामिक सेंटर। वहां के राष्ट्रपति का निवास बिल्कुल सड़क पर है, पर कोई गार्ड हमें वहां नज़र नहीं आया। हालत यह है कि कई बार तो राष्ट्रपति घर से पैदल ही विकल जाते हैं ज़रूरी बैठकों के लिए। वहां की सड़कों पर दो घंटे में घूमते-घामते पता ही नहीं चला कि माले का एक हिस्सा पूरा घूम लिए। सब्ज़ी बाज़ार देखा, मछली बाज़ार के पास से निकले, कुछ शो-रूम में नज़र दौड़ाई... और हो गया माले में घूमना।

मालदीव के तट के पास हमारा जहाज़ 24 घंटे तक रुका। वहां असल रोमांच अगली सुबह था। यहां दूर स्थित द्वीपों तक जाने के लिए सी-प्लेन हैं जो पानी पर फिसलते हुए उड़ान भरते हैं और करीब एक-डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते हैं। हमें 105 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित रंगाली द्वीप जाना था जहां कॉनराड रिज़ॉर्ट है। वहां तक 35 मिनट की उड़ान के दौरान जो दिखा वो जन्नत के सिवा कुछ नहीं था। छोटे-छोटे द्वीप यूं लग रहे थे जैसे गहरे नीले आसमां में तश्तरियां तैर रही हों। कह सकते हैं कि यह उड़ान मालद्वीप की मेरी यात्रा का सबसे रोमांचक पहलू थी। लेकिन उसके बाद रिज़ॉर्ट पर बिताए कुछ घंटे मन तो पतंग कर देने के लिए काफी थे। रिज़ॉर्ट में भी कई नज़ारे हमारे इंतज़ार में थे। समंदर में दूर तक फैले कॉटेज, और उनमें कांच के फर्श! मानो लहरों के ऊपर रह रहे हों। यहां जो कुछ था सब वैभव की दास्तां था।

हिल्टन ग्रुप के इस रिज़ॉर्ट को दो बार दुनिया के बेहतरीन होटल का खिताब मिल चुका है। यह रिज़ॉर्ट असल में दो द्वीपों पर बसा है जो एक-दूसरे से आधा किलोमीटर की दूरी पर हैं, और इन्हें जोड़ता है समंदर के ऊपर बना रास्ता। इस रास्ते के बीचो-बीच लड़की से बना प्लेटफॉर्म है जहां सी-प्लेन उतरते हैं। यहां से लहराती हुई दो बड़ी-बड़ी बांहों जैसे रैम्प शुरू होते हैं जो दोनों द्वीपों तक जाते हैं। इनमें से बडे़ वाले द्वीप पर बीच विला हैं जबकि छोटे द्वीप पर वॉटर विला। हरेक बीच विला में फव्वारे वाला गार्डन है और निजी स्विमिंग पूल भी। वहीं, वॉटर विला ऐसे घर हैं जिन्हें पानी के बीच लकड़ी के लट्ठों पर बनाया गया है। ये चार तरह के हैं- सुपीरियर, डीलक्स, प्रीमियम और सनसेट। इनमें सनसेट विला में रहने का मतलब ख़ालिस विलासता है। यहां एक दिन का किराया करीब 8 लाख रुपए है। आपको एक प्राइवेट वेटर 24 घंटे मुस्तैद मिलेगा। द्वीप के एक कोने में बने कांच के फर्श वाले इन विला में घूमते डबलबेड, सेटेलाइट टीवी, हाई पॉवर दूरबीन के अलावा आउटडोर स्विमिंग पूल और जकूज़ी भी हैं। गुनगुनी धूप में रंग-बिरंगी मछलियां देखते हुए नहाओ, और दूर-दूर तक देखने वाला कोई नहीं। इस विला में कदम रखते ही लगा कि दूर तक फैला शांत समंदर जैसे मेरा गुलाम हो गया हो; मैं इसके सीने पर ठाठ से चल रहा हूं और यह मेरे पांव चूमने को बेताब हो।

मालदीव के टापुओं की ख़ासियत है कि ये बेहद साफ हैं और इनके किनारे झक सफेद महीन बालू रेत से बने हैं। जहां ज़मीन समंदर में उतरती है वहां पानी रंगहीन नज़र आता है। थोड़ा आगे जाने पर हरा, थोड़ी ज्यादा दूरी पर हल्का नीला, और बीच समंदर में गहरा नीला। समंदर की गहराई बढऩे के साथ पानी का रंग भी बदलता नज़र आता है। इन्हीं गहराइयों के ऊपर बना है सन डेक जहां सनसनाती हवा के थपेडे़ सहते हुए धूप सेंकने का अलग ही मज़ा है। रिज़ॉर्ट में सात रेस्तरां और तीन बार के अलावा स्पा सेंटर भी है। यहां का खाना लाजवाब था- हल्का, स्वादिष्ट और पौष्टिक।

अब चलते हैं इस रिज़ॉर्ट की दो ऐसी ख़ासियत देखने जिनके लिए ज़मीन के नीचे जाना होता है। ये हैं- समुद्र तल से 12 फीट नीचे बना अंडरवॉटर रेस्तरां और छह फीट नीचे बना अंडरग्राउंड वाइन सेलार। वाइन सेलार में 600 किस्म की वाइन की 10 हज़ार से ज़्यादा बोतलें हैं। यहां एक्सक्लूसिव डिनर लिया जा सकता है, जहां आपके ऑर्डर के मुताबिक वाइन परोसी जाएगी। मद्धम रोशनियों के बीच डिनर करते वक़्त टेबल पर हर सीट के आगे लगी एलसीडी पर वाइन से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं। इसी तरह, इथा रेस्तरां है जो समंदर के नीचे बना है। छोटी घुमावदार सीढिय़ां उतरते वक़्त ये अहसास नहीं होता कि चंद पलों बाद किस नज़ारे से सामना होगा। रेस्तरां में कदम रखते ही लगा मानो एक दूसरी दुनिया में गए हों। चारों तरफ पानी, तैरती मछलियां, समुद्री पौधे, छोटे-छोटे पत्थर.... और इस सबके बीचो-बीच मेजों कुर्सियों की कतारें। ये क्या है.. अरे! ये तो वही गोताखोर हैं जो कुछ देर पहले किनारे पर थे और पानी में उतरने की तैयारी कर रहे थे। चेहरे पर मास्क लगाए ये गोताखोर मछलियों की तरह पानी के अंदर तैर रहे हैं और मैं ये नज़ारा पानी के अंदर बैठकर देख रहा हूं, और हमारे बीच में सिर्फ कांच की दीवार है।

यह यात्रा वृतांत 'हिन्दुस्तान' के मेरठ संस्करण में दो अंकों में प्रकाशित हो चुका है।

Comments

बहुत सुंदर यात्रा वृतांत है भाई। पढ़ना शुरू किया तो पढ़ता ही चला गया। मालवीय की कई तस्वीरें मैंने देखी है और मेरी खुद की दिली इच्छा है कि एक बार हो आऊं।
Manvinder said…
समंदर जैसे मेरा गुलाम हो गया हो; मैं इसके सीने पर ठाठ से चल रहा हूं और यह मेरे पांव चूमने को बेताब हो वाह , क्या बात है सच ....
आपकी पोस्ट जानकारी के साथ साथ समंदर की सैर करने में भी कामयाब रही है ....बधाई
Anil Pusadkar said…
सच मे जन्नत है,तस्वीरें तो यही कह रही है.
Ashwani said…
maza aaya...ichha badh gayi wahaan jaane ki..
Rekha Kakkar said…
Beautiful pics and equally beautiful description too...
Ajay K. Garg said…
नरेश जी, मनविंदर जी... यात्रा वृतांत पसंद करने का शुक्रिया!

अनिल, अश्वनी, रेखा... सचमुच एक अलग दुनिया है वहां पर. सारे नज़ारे अकल्पनीय से लगते हैं. बेहद सुकूनदायक!!
aditya agrawal said…
hii nice lines. i m going male on 18th kno more about it country, plz give ur number if u can my numnber is 9431692288/ 8539913851.... regards aditya agrawal...............

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