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तुम्हारे लिए - 1

1) गुनगुनी धूप के जैसा था तुम्हारा आना ... चटकने लगीं मन के तन पर जमी बर्फ की परतें उम्मीदों ने फिर चाहा अँगड़ाई लेना और धूप के परों पर सवार होकर उड़ चली ज़िन्दगी बुझता हुआ इक दिया मानो सूरज होने चला 2) कभी तुमसे कहता था लम्बी उम्र जियोगी तुम बस , तुम्हारे ही बारे में सोच रहा था ऐसा तुम्हें अब नहीं कह पाता घड़ी भर के लिए भी दिमाग़ से ओझल जो नहीं होती तुम .. 3) भीगी आँखें लिए मुस्करा देना मुश्किल हो सकता है किसी के लिए भी ... मुझे लेकिन बहुत कोशिश नहीं करनी होती इसके लिए मैं बस सोच लेता हूँ तुम्हारे बारे में एक बार !!

नई ग़ज़ल

दिल में तेरा ही ग़म है   कितना अच्छा मौसम है   हंसना रोना जो भी है   दुनिया तुमसे हमदम है झूठ कहा कि तेरे हैं   ये कहना भी क्या कम है आंखों आगे मौत खड़ी   फिक्र तेरी ही हर दम है

धरती पर जन्नत है मालदीव

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समंदर के गहरे नीले पानी में नीलम की अंगूठियों की तरह छितराए छोटे - छोटे द्वीपों की तस्वीरें जब भी देखता था तो उल्लासभरा सुकून मन में भर जाता था। भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में मौजूद छोटे - से देश मालदीव के ये करीब 1100 द्वीप इस धरती को कुदरत के किसी नज़राने से कम नहीं हैं। करोड़ों साल से मूंगे के इकट्ठा होते जाने से बने ये द्वीप जब ऊपर से देखो तो हल्के नीले रंग के नज़र आते हैं और सफेद रेत वाले इनके किनारे समंदर में घुलते हुए लगते हैं। बहुत बार होता कि एक बार - सिर्फ एक बार - इस नज़ारे को अपनी आंखों से देख पाऊं। पर वहां जाना और रहना इतना महंगा कि हर बार मन को मारना पड़ता। मालदीव के किसी रिज़ॉर्ट में रहने का मतलब विलासिता से रू - ब - रू होना है ... कांच की तरह साफ पानी , शांत लहरें , शोर - शराबे से कोसों दूर समुद्र के किनारे आराम से किताब पढऩा या कॉकटेल की चुस्कियां लेना , शानदार सी - फूड , सी - प्लेन की सवारी , ...