तुम्हारे लिए - 1
1) गुनगुनी धूप के जैसा था तुम्हारा आना ... चटकने लगीं मन के तन पर जमी बर्फ की परतें उम्मीदों ने फिर चाहा अँगड़ाई लेना और धूप के परों पर सवार होकर उड़ चली ज़िन्दगी बुझता हुआ इक दिया मानो सूरज होने चला 2) कभी तुमसे कहता था लम्बी उम्र जियोगी तुम बस , तुम्हारे ही बारे में सोच रहा था ऐसा तुम्हें अब नहीं कह पाता घड़ी भर के लिए भी दिमाग़ से ओझल जो नहीं होती तुम .. 3) भीगी आँखें लिए मुस्करा देना मुश्किल हो सकता है किसी के लिए भी ... मुझे लेकिन बहुत कोशिश नहीं करनी होती इसके लिए मैं बस सोच लेता हूँ तुम्हारे बारे में एक बार !!