Posts

Showing posts from January, 2012

यूं होता है अक्सर...

Image
समंदर के किनारे रेत के घरौंदे पर लिखने ही लगता है कोई अपने प्रिय का नाम कि लहर आती है   और छोड़ जाती है   अपने आने का निशान आधी छुट्टी की घंटी बजते ही बगूले की तरह भागते हैं बच्चे कक्षा छोड़कर और गणित की उलझन का हल लिखने के लिए श्यामपट की ओर बढ़ते मा ’ स्साब हक्क-बक्क खड़े रह जाते हैं खड़िया हाथ में पकड़े हुए प्यार की तलाश में निकलने वालों के साथ भी ऐसा ही घटता है अमूमन प्रेम का सागरमाथा छूने को पल-पल बढ़ रहे होते हैं   लगन और उम्मीद के साथ कि निकल जाती है पैरों के नीचे से ज़मीन अचानक और भरभराकर रसातल की राह पकड़ लेता है विश्वास का हिमालय

ख़ामोशी के शब्द

Image
होंठ लरजते रहे तरसते रहे ज़रा-सी बात को शब्दों की शक्ल देने के लिए खिड़की तक आकर जैसे रुक जाए कोई बादल   आंखों से होती रहीं लफ्ज़ों की बारिशें भिगोती रहीं तुम्हारे मन की ज़मीन मेरे मन की ज़मीन तुम भी तृप्त मैं भी तृप्त समेटकर अपने भीतर जज़्बातों के दरिया को वो जो नहीं जानते ख़ामोशी की ज़बान देखते रहे वो बस होंठों का लरजना