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Showing posts from March, 2012

मालदीव- इस बार सुनामी सत्ता के समंदर में

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यह काहिरा का तहरीर चौक या बहरीन की राजधानी मनामा का पर्ल चौराहा नहीं था , और न ये दमश्क की गलियां थीं ;   न ही यहां पर उतनी तादाद में लोग जमा थे जितने एक साल पहले काहिरा , दमश्क या मनामा में अपने-अपने देश के शासक से मुक्ति पाने के लिए आंदोलन कर रहे थे। पर इनका मक़सद कमोबेश वैसा ही था। यह हिंद महासागर में कुल 1192 टापुओं से मिलकर बने देश मालदीव की राजधानी माले की गलियां थीं जिनमें 16 जनवरी से हर रोज़ हज़ारों लोग जुट रहे थे। ये लोग राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की नीतियों के विरोध में उनसे इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे। आंदोलन शुरू होने के 22 दिन बाद 6 फरवरी को आंदोलनकारियों की तादाद 12 हज़ार तक पहुंच चुकी थी। पुलिस विद्रोहियों के साथ थी। शाम होते-होते सेना भी आंदोलनकारियों के साथ आ खड़ी हुई।  माले के कोने-कोने में लोगों के रेले थे। सवा तीन लाख की आबादी वाले इस देश ने पहली बार अपने लोगों को इतनी बड़ी संख्या में एक साथ देखा था। इसके अगले दिन सुबह एक ख़बर हर चैनल पर थी- ‘ मालदीव में तख्तापलट! राष्ट्रपति नशीद ने पद छोड़ा। ’ कुछ देर बाद ख़बर आई- ‘ उपराष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन ने सं

पलटिए थाई विरासत के पन्नों को

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नदी किनारे बने हैं राजमहल और सूर्योदय मंदिर... मंदिर के दूसरे तल से उस पार राजमहल दिखता है बैंकॉक के चमचमाते मॉल्स में शॉपिंग करने और भीड़भाड़ वाली सड़कों पर थाई भोजन का स्वाद लेते हुए तफरीह करने के अलावा इस शहर का असल आकर्षण इसकी आलीशान विरासत है। इस विरासत को देखे-समझे बिना ही अगर कोई बैंकॉक को अलविदा कहकर जाता है तो समझिए वो बहुत कुछ छोड़कर जा रहा है। अपनी पहली थाईलैंड यात्रा के दौरान बैंकॉक में दो दिन गुजारने के बावजूद मैं इसकी विरासत से रू-ब-रू होने का मौका नहीं निकाल पाया था। एक कसक मन में बनी रही...और यह तब तक ख़त्म नहीं हुई जब तक अपनी अगली यात्रा में मैं इन जगहों पर हो नहीं आया। वट अरुण मंदिर, राजसी महल तथा एमरेल्ड बुद्ध मंदिर में विचरने और छोटे-से-छोटे विवरण की तस्वीर ज़हन पर उतारने के बाद एक सवाल मन में आया कि क्या अपनी पहली यात्रा में मैं सचमुच बैंकॉंक होकर गया था, या कि बस इस भुलावे में जी रहा था कि मैंने बैंकॉक देख रखा है। ...और तभी मुझे एक और भुलावे की याद आई- जो हमारी ट्रेवल एजेंसियां अपने ग्राहकों को टूर पैकेज की शक्ल में देती है ; जिसमें आधे दिन का बैंकॉक सिटी

तफरीह बैंकॉक की सड़कों पर

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पात्तया के रंग में भीगने के बाद अब बारी बैंकॉक की भीड़भाड़ में खोने की थी। बैंकॉक- मुस्कराहटों की धरती का सबसे बड़ा शहर ; एक ऐसा शहर जिसकी सड़कें कभी भी जाम हो जाने के लिए जानी जाती हैं ; एक वो शहर जो किसी भी खाने-पीने के शौकीन इन्सान के लिए जन्नत से कम नहीं.....और अगर कोई भी नई चीज़ देखकर उसे ख़रीदने से ख़ुद को रोक नहीं पाते हैं और दाम कम करवाने के लिए बहस करने में आपको मज़ा आता है, तो बैंकॉक से इश्क़ होना लाज़िमी है। थाईलैंड के अन्य शहरों में बारगेन की गुंजाइश कम है। वहां आप दाम करने को बोलेंगे तो एक गरमाहट-भरी मुस्कराहट के साथ जवाब मिलेगा- ‘ सॉरी, अप टू यू...। ’ लेकिन बैंकॉक ऐसा शहर है जहां आपके पास चीज़ें सस्ती करवाने के ज़्यादा मौके हैं। बाकी, बैंकॉक के ज़्यादातर भीड़भाड़ वाली गलियों व सड़कों में एक अजीब-सी महक तारी रहती है। मशहूर थाई व्यंजनों की महक है यह। थाई खाने का स्वाद दुनिया मानती है। थाई लोग खाने-पीने के शौकीन भी बहुत हैं। प्रतुमनाम, प्रदीपत रोड तथा खाओ सान इलाके ऐसे हैं जहां हर तरह के व्यंजन हैं। अगर केवल 25 बाट यानी 40 रुपए में आपको वेज फ्राइड राइस और 30 बाट यान

पात्तया-3 : कैबरे, थीम पार्क और एनिमल फार्म

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पात्तया को इसके बिंदास तौर-तरीकों ने बेशक दुनियाभर में एक ऐसे सागरतटीय इलाक़े के रूप में लोकप्रियता दिलाई है जो युवाओं के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है , लेकिन यहां पर कितने ही ठिकाने ऐसे भी हैं जहां ख़ालिस मनोरंजन है और दिनभर की मस्ती है। अभी तक पात्तया की अपनी घुमक्कड़ी में हमने उन जगहों को छुआ जहां माहौल का अपना अंदाज़ है, और यह हम पर है कि उस माहौल में ख़ुद को हम कैसे ढालते हैं, उसे कैसे जीते हैं, कैसे महसूस करते हैं। आज पात्तया की अपनी तफ़रीह के इस अंतिम चरण में हम उन जगहों पर चलते हैं जहां पहुंचकर वहां के रंग में आपको रंगना ही पड़ेगा ; आपकी मर्ज़ी नहीं वहां चलने वाली। खो जाएं कैबरे की चकाचौंध में पात्तया में शाम का धुंधलका छाने के साथ ही दो नए रंग घुलने लगते हैं- एल्काज़र और टिफेनी। ये दोनों डेढ़-डेढ़ घंटे के कैबरे शो हैं जिनमें पुरुष से स्त्री बन चुके युवा हिस्सा लेते हैं। थाईलैंड में लिंग परिवर्तन कराने का चलन दुनिया के किसी भी अन्य देश से कहीं ज़्यादा है। शहर में घूमते-फिरते आपको कितनी ही ऐसी लड़कियां दिखेंगी जो कभी मर्द थीं। इन्हीं ‘ मर्दाना लड़कियों ’ के क