तफरीह बैंकॉक की सड़कों पर

पात्तया के रंग में भीगने के बाद अब बारी बैंकॉक की भीड़भाड़ में खोने की थी। बैंकॉक- मुस्कराहटों की धरती का सबसे बड़ा शहर; एक ऐसा शहर जिसकी सड़कें कभी भी जाम हो जाने के लिए जानी जाती हैं; एक वो शहर जो किसी भी खाने-पीने के शौकीन इन्सान के लिए जन्नत से कम नहीं.....और अगर कोई भी नई चीज़ देखकर उसे ख़रीदने से ख़ुद को रोक नहीं पाते हैं और दाम कम करवाने के लिए बहस करने में आपको मज़ा आता है, तो बैंकॉक से इश्क़ होना लाज़िमी है। थाईलैंड के अन्य शहरों में बारगेन की गुंजाइश कम है। वहां आप दाम करने को बोलेंगे तो एक गरमाहट-भरी मुस्कराहट के साथ जवाब मिलेगा- सॉरी, अप टू यू...। लेकिन बैंकॉक ऐसा शहर है जहां आपके पास चीज़ें सस्ती करवाने के ज़्यादा मौके हैं। बाकी, बैंकॉक के ज़्यादातर भीड़भाड़ वाली गलियों व सड़कों में एक अजीब-सी महक तारी रहती है। मशहूर थाई व्यंजनों की महक है यह। थाई खाने का स्वाद दुनिया मानती है। थाई लोग खाने-पीने के शौकीन भी बहुत हैं। प्रतुमनाम, प्रदीपत रोड तथा खाओ सान इलाके ऐसे हैं जहां हर तरह के व्यंजन हैं। अगर केवल 25 बाट यानी 40 रुपए में आपको वेज फ्राइड राइस और 30 बाट यानी 45 रुपए में नॉन-वेज फ्राइड राइस से भरी प्लेट खाने को मिले तो? और ऊपर से स्वाद भी माशाअल्लाह हो... आप कहेंगे- नेकी और पूछ-पूछ। बैंकॉंक का यही मज़ा है।
 बैंकॉक ने अपनी पहली करवट उत्तर से दक्षिण की तरफ बहती चाओ पराया नदी के आस-पास ली थी और यहां से शहर चारों तरफ फैलता गया। आज भी इस शहर के जिस्म में यह नदी सांस फूंकती है। नदी से पश्चिम वाला हिस्सा पुराना बैंकॉक है और वहां व्यापारिक संस्थान अधिक हैं। सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण नदी से पूरब में बसा शहर है। पूरब का यह हिस्सा कितना अहम है बैंकॉक के लिए, इसका अंदाज़ा इस बात से लग जाता है कि बैंकॉक की स्काई ट्रेन व मेट्रो रेल केवल इसी हिस्से में हैं। यहां के कुछ इलाके ऐसे हैं जिनका जिक़्र ख़ासतौर पर किया जा सकता है। बैंकॉक के अपने सफ़र की शुरुआत हम इन्हीं इलाक़ों की जानकारी से करते हैं।

गहमागहमी का दूसरा नाम प्रतुनाम
उस जगह के बारे में सोचिए जहां शहर के सबसे ज़्यादा होटल हों, सबसे ज़्यादा रेस्तरां व बार हो, सबसे ज़्यादा फड़ीवाले हों.. ये इलाक़ा प्रतुनाम है। स्वर्णभूमि एयरपोर्ट से पाया थाई के लिए एयरपोर्ट सिटीलाइन ट्रेन लेंगे तो अंतिम से पहले का स्टेशन रात्चाप्रारोप है। प्रतुमनाम के लिए यहीं उतरना होगा। अगर किसी वजह से थाईलैंड आने से पहले होटल बुक नहीं करवा पाए हैं तो प्रतुमनाम निराश नहीं करेगा। इसकी बांहें स्वागत के लिए हमेशा खुली हैं। हर बजट के होटल हैं यहां, बस अपनी जेब में झांक लीजिए कि वो कितनी इजाज़त देती है। यहां सड़कों पर जितने वाहन दिखेंगे, उतनी ही फड़ियां और छोटी दुकानें दिख जाएंगी। हर तरह का सामान मिलता है यहां, आप बस मुंह से बोल दीजिए।
यहां प्रतुमनाम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है जो ख़रीदारी के शौकीनों के लिए पहला और आख़िरी गंतव्य है। यहां बारगेन करना ना भूलें, फायदा ही होगा। अगर आप थोड़ा स्तरीय चीज़ें ख़रीदने के लिए जेब हल्की करने को तैयार हैं तो कॉम्प्लेक्स के बाहर प्लेटिनम रोड है जहां कई बड़े शॉपिंग मॉल्स हैं। ज़्यादातर भारतीय यहां इलेक्ट्रॉनिक्स चीज़ों और कपड़ों की ख़रीदारी करते मिलेंगे। ...और अगर घूमते-टहलते भूख लग आई है तो हर बजट के हिसाब से रेस्तरां हैं यहां। एक ख़ास बात यह कि बैंकॉक में भारतीय खाने से सबसे अधिक ठिकाने यहीं पर हैं, विशेषतौर पर पंजाबी रेस्तरां। हम जिस रेस्तरां में घुसे वो नवांशहर के किसी व्यक्ति का था। वो ये जानकर ख़ुश हो गया कि मैं भी पंजाबी हूं। वहां के लज्जतदार खाने ने पेट की संतुष्टि करा दी और पंजाबी में हुई बातचीत ने दिल की। 

बांध के रख लेती है अकेली सड़क
इसका नाम है प्रदीपत रोड। यह जगह सपन क्वाई इलाके में है जो एयरपोर्ट सिटी लाइन के अंतिम स्टेशन पाया थाई से कुछ दूरी पर है। पाया थाई से मो चित की तरफ जाने वाली स्काईट्रेन लेंगे तो बीच में सपन क्वाई स्टेशन आएगा। यूं तो इस इलाके में भी होटल काफी हैं, लेकिन यहां पर गेस्टहाउस व बैकपैकर हॉस्टल्स की काफी तादाद हैं। यहां वो लोग आते हैं जो बेहद कम बजट पर घूमते फिरते हैं। युवा मुसाफिरों की भीड़ यहां अधिक नज़र आती है। यही वजह है कि यह बैंकॉक के सबसे सस्ते इलाकों में हैं। यहां की प्रदीपत रोड हमेशा खाने-पीने की रेहड़ियों से गुलजार रहती है। अगर साफ-सफाई को लेकर मन में थोड़ा भी वहम है तो निकाल दीजिए, किसी भी रेहड़ी या रेस्तरां पर इससे कोई समझौता नज़र नहीं आएगा। इसके अलावा, कितने ही मसाज सेंटर हैं इस रोड पर जो बैंकॉक की बाकी जगहों के मुकाबले बेहद सस्ते हैं। अगर कलात्मक चीजें का संग्रह करते हैं तो स्काई ट्रेन के ट्रैक के नीचे सड़क पर बहुत-सी ऐसी छोटी दुकानों की भरमार है।    
महंगा लेकिन पसंद आता है खाओ सान
चाओ पराया नदी के पास एक रोड का नाम है खाओ सान। यहां मुसाफिरों की भीड़ का आलम यह है कि रात के वक़्त यहां पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती। यहां आस-पास कोई मेट्रो या स्काई ट्रेन नहीं है, लेकिन नदी के उस पार जाने वाली करीबन हर बस यहां से होकर निकलती है। पाया थाई से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर है खाओ सान रोड। ये पुराना इलाका है और यहां बार बहुत हैं। यूरोपीय सैलानियों की भीड़ ख़ूब रहती है यहां। यही कारण है कि यह बाकी हैंगआउट वाली जगहों से थोड़ा महंगा है। यह रोड अपनी नाइट लाइफ के लिए मशहूर है।

सस्ते में पहुंचें शहर तक
  • पात्तया से बैंकॉक जाने के लिए बस बेहतर साधन है। लेकिन सामान ज़्यादा है और आप जल्दी में भी नहीं हैं तो बैंकॉक तक ट्रेन का आरामदायक सफर कर सकते हैं।
  • एयरपोर्ट से सीधे आ रहे हैं तो बेसमेंट से एयरपोर्ट सिटी लाइन रेल सेवा है जो 45 बाट में शहर के बीचोबीच पहुंचा देती है।
यह यात्रा वृतांत  'दैनिक भास्कर' के हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली संस्करणों के साप्ताहिक परिशिष्ट 'रसरंग' के 26 फरवरी 2012 के अंक में प्रकाशित हुआ है।

Comments

इसे पढ़कर बैंकॉक की सड़कों पर की तफ़रीह याद आ गई :-)
कभी वहां गए, तो आपकी जानकारियां काम आएंगी। शुक्रिया...
Mamta Bajpai said…
अभी तक परदेश जाने का अवसर नहीं मिला पर आपकी रोचक जानकारी पढ़ना अच्छा लगा
सदा said…
बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

कल 14/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं ।

आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!


सार्थक ब्‍लॉगिंग की ओर ...
Udan Tashtari said…
जानकारीपूर्ण!!
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर


सादर
Ajay K. Garg said…
@माधवी, दीपिका जी, ममता जी, य़शवन्त जी... लेख पसंद करने के लिए आपका आभार....
@सदा... लेख को सम्मान देने और अपने ब्लॉग पर रखने के लिए आभारी हूं...
@उड़न तश्तरी जी.. काफी लंबे वक़्त के बाद आपको देखा है अपने ब्लॉग पर... कहां अंतर्ध्यान थे.. आते रहिएगा, हौसला बढ़ाते रहिएगा...

Popular posts from this blog

ख़ामोशी के शब्द

धरती पर जन्नत है मालदीव

नई ग़ज़ल