उम्मीद शांति की, इंतज़ार नए देश का
अफ्रीकी देश सूडान के दक्षिणी हिस्से में 9 से 15 जनवरी तक चला जनमत संग्रह इस दौर की उन चंद अहम घटनाओं में से एक है जिस पर पूरी दुनिया की उम्मीद एवं इंतजार भरी निगाहें लगी हैं। उम्मीद इस बात की कि जनमत संग्रह के नतीजों के साथ ही वहां पर वर्षों से चल रहे जातीय तनाव का अंत होगा जो वर्ष 1983 से शुरू होकर 2005 में हुए शांति समझौते तक 20 लाख से ज्यादा लोगों के कत्ल की वजह बना , जिसके कारण 40 लाख लोगों को घर - बार छोडऩा पड़ा , और जिस दौरान 20 लाख से ज्यादा लोगों को दासता की बेडिय़ां पहना दी गईं। वहीं इंतजार एक नए देश के जन्म लेने का जिसके सूडान से अलग होकर अस्तित्व में आने की पूरी संभावना है। वैसे , इस जनमत संग्रह से पहले हुए सर्वेक्षणों की बात करें तो साफ है कि 22 साल तक गृहयुद्ध की विभीषिका देख चुके सूडान के दक्षिणी हिस्से के लोग स्वतंत्रता के पक्ष में ही मतदान करने वाले हैं। जनमत संग्रह के प्रति उत्साह का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस देश में ढंग की सडक़ें नहीं हैं और जन - परिवहन के साधन चंद बड़े शहरों तक सीमित हैं , वहां लोग आधा दिन पैदल चलकर या मोटरसाइकिलों पर 50-...