तस्वीरें जो बहुत कुछ बोलती हैं...
धूप भी वही है , परछाइयां भी वही हैं - फिर वो लातिन अमेरिका हो या हिंदोस्तान। फ़र्क सिर्फ़ उस नज़र का है जो इसे देखती है और धूप - छांह के बीच बुने रंगों की एक तस्वीर के रूप में रचना कर डालती है। चंडीगढ़ में कोई विरला ही होगा जो ब्राज़ील की राजधानी की ख़ूबसूरती से रू - ब - रू हुआ होगा , लेकिन सवाल यह है कि अपने ही शहर को भी क्या यहां के बाशिंदों ने उस नज़र से कभी देखा होगा जिस नज़र से स्टीफन हरबर्ट देख आए हैं ? फ्रांस के इस छायाकार की खींची तस्वीरों में चडीगढ़ का अलग ही चेहरा उभर आता है। वही सुखना झील , रॉक गार्डन का वही पुल जहां से आप फेज़ -1 से फेज़ -2 में जाते वक़्त दसों बार गुज़रे होंगे , वही ओपन हैंड , थोड़ी ही दूर पानी में हिलती - डुलती हाईकोर्ट की मटमैली इमारत , सेक्टर -22 का वही पार्क , और वही गांधी भवन जिस पर डाक टिकट तक छप चुका है ! ... लेकिन यहां कुछ तो अलहदा है , यकीनन कुछ जुदा - जुदा सा है। यही बात ब्राज़ीलिय...