वो लम्हा आंखों देखा.....
गुरुवार की शाम को जब मुझे बताया गया कि अगले दिन मोहाली टेस्ट मैच के पहले दिन की ऑफ-बीट कवरेज के लिए मुझे दर्शकों के बीच जाकर बैठना है, तब मुझे इस बात का कतई अंदाज़ा नहीं था कि आने वाला दिन मुझे उस तारीख़ी लम्हे का गवाह बनने का मौका देगा, जिसे कोई भी शख़्स अपनी निगाहों में क़ैद करना चाहता होगा। जब तक मैं मोहाली स्टेडियम पहुंचा, मैच शुरू हो चुका था।
भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी के लिए उतरी थी। मैदान पर सलामी जोड़ी खेल रही थी। मैं जहां बैठा था, वहां काफी तादाद में ऑस्ट्रेलिया से आए दर्शक भी थे। यकीनन, वे चाहते थे कि भारतीय विकेट जल्दी-जल्दी गिरें। लेकिन यकीन यह भी मानिए कि हमारे अपने दर्शकों में भी ज़्यादातर ऐसे थे जो कम-से-कम दो विकेट ज़रूर गिरते देखना चाहते थे। बात जितनी अजीब थी, उसके पीछे वजह उतनी ही जानदार। उनके लिए स्कोर बोर्ड पर भारतीय टीम के आगे रनों का अंबार लगा देखने से ज़्यादा अहम था सचिन के 15 रन, ताकि वे ब्रायन लारा के रिकॉर्ड को टूटते और सचिन को दुनिया में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाला क्रिकेट खिलाड़ी बनते देख़ सकें। लेकिन इसके लिए सचिन का मैदान पर होना ज़रूरी था, और इसके लिए ज़रूरी था दो खिलाड़ियों का आउट होना।
द्रविड़ के आउट होने के बाद सचिन मैदान पर आए तो वक़्त की चाल मानो अचानक धीमी हो गई थी। किसी एक घड़ी का इंतज़ार कितना मुश्किल हो सकता है, इसका अंदाज़ा मुझे वहां बैठे-बैठे आसानी से हो रहा था। 12 रन तक पहुंचने के लिए सचिन ने सिर्फ़ 22 गेंदें खेली थीं, और तब तक गांगुली ने 20 गेंदें खेलकर महज 2 रन बनाए थे, लेकिन लग यूं रहा था जैसे सचिन उस जादुई अंक तक पहुंचने के लिए बरसों ले रहे हैं। लेकिन, टी-ब्रेक के बाद पीटर सिडल की पहली ही गेंद....और सारा स्टेडियम उठकर खड़ा हो गया। उस महान खिलाड़ी के लिए अपना सम्मान जताने की ख़ातिर जिसने क्रिकेट इतिहास के पन्नों पर कई ऐसे हर्फ़ लिख दिए जिनके बारे में किसी ने कभी सोचा भी न होगा।
सिडल की गेंद पर सचिन क्रीज़ से ज़रा-सा बाहर निकले और गेंद को बिना ज़्यादा मशक्कत किए थर्डमैन की तरफ मोड़ दिया। वो लम्हा बेनज़ीर था, वो एहसास अलहदा था। उस लम्हे को तब से अब तक कई बार जी चुका हूं, उस एहसास से बार-बार गुज़र चुका हूं। ये लम्हा, ये एहसास.......शायद ही कभी भूले!!!
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नीरज