टीवी की क्राइम सीरीज बड़े परदे पर
क्या आप टेलीविजन पर ‘ क्राइम पैट्रोल ’ या ‘ सावधान इंडिया’ जैसे कार्यक्रम देखते और पसंद करते हैं? जवाब अगर हां में है तो फिर अनुराग कश्यप की ताजातरीन पेशकश ‘ अगली ’ भी आपको पसंद आएगी। ‘ अगली ’ कुछ सच्ची घटनाओं एवं अनुभवों का मिश्रण है (इसका दावा फिल्म शुरू होने पर किया गया है) और इसे ऐसी ही किसी टेलीविजन सीरीज का बड़े परदे वाला अवतार कहा जा सकता है। अब आप मुझसे यह सवाल कर सकते हैं कि जब हमें ऐसी ‘ सत्यकथाएं ’ घर में ही छोटे परदे पर देखने को मिल ही जाती हैं, तो फिर फिल्म देखने थियेटर तक क्यों जाया जाए ? वो भी तब जब अनुराग हमारे सामने रिश्तों तथा नैतिकता का खोखलापन पेश करने की कोशिश में सस्पेंस / थ्रिल का मसाला डालने का लोभ संवरण नहीं कर पाए हों और ‘ अगली ’ को कई जगहों पर अवास्तविकता का स्पर्श दे गए हों। अनुराग की इस फिल्म का शीर्षक अंग्रेजी में है, जो रिश्तों के नकाब के पीछे इन्सान का विद्रूप चेहरा दिखाने की कोशिश के हिसाब से सटीक बैठता है। अगर फिल्म बनाने के पीछे केवल इसी मंशा को लेकर चला जाता तो ‘ अगली ’ अपने मकसद में कामयाब होती। फिल्म एक 10 साल की बच्ची के ग...