साल का अब तक का बेहतरीन तोहफा
फिल्मकार आर. बाल्की की जादुई पोटली एक बार फिर खुली है, और इस बार इसमें से पूरी शानो-शौकत तथा ढोल-धमाके के साथ निकली है ‘ शमिताभ ’ । ‘ शमिताभ ’ में डबल डोज़ है ; यह दानिश और अमिताभ का संगम के तौर पर सामने आती है। डबल डोज़, यानी डबल मज़ा। लेकिन यहां मज़ा कई गुणा है। अब आप पूछेंगे कि कैसे ? तो जवाब यह है कि ‘ शमिताभ ’ का हर पहलू जानदार है- इसकी अवधारणा से लेकर कथानक की बुनावट तक, पटकथा से लेकर संवादों तक, अभिनय से लेकर संगीत तक। आप सचेत होकर खामी निकालने बैठेंगे तो एक अच्छी पेशकश का मजा लेने का मौका जाता रहेगा। ...और फिल्म देखने के बाद जब अवचेतन मस्तिष्क को खंगालेंगे तो फिल्म की बहुत-सी खूबसूरत बातों का मिश्रण चेहरे पर मुस्कान तथा मन में संतुष्टि का भाव ला देगा। ‘ शमिताभ ’ का जब ट्रेलर जारी हुआ था तो इसके धीमी रफ्तार से चलने वाली एक बोझिल-सी फिल्म होने का अक्स जहन में बना था। लेकिन ‘ शमिताभ ’ जब अपने पूरे आकार में सामने आती है तो रूह को खुश करती है। फिल्मी दुनिया में मुकाम बनाने का जुनून पाले एक गूंगे लड़के दानिश की आवाज अमिताभ सिन्हा नामक एक असफल ...