पात्तया-2 : थोड़ा-सा अल्हड़, थोड़ा-सा निठल्ला

दुनिया के सबसे बिंदास शहरों में शुमार पात्तया के यात्रा-संस्मरण की अगली कड़ी की शुरुआत, चलिए, एक सवाल से करते हैं। आखिर वो क्या वजह है कि अपनी चिर-परिचित रंगीली छवि के विपरीत यह शहर हर उम्र के लोगों के लिए बेहतरीन गंतव्य साबित होता है? इस सवाल का जवाब एक ही शब्द में पात्तया की मुकम्मल तस्वीर खींच देता है; और यह शब्द है- विविधता। एक तरफ पात्तया की हवाओं में हल्ला-गुल्ला है, मदमस्ती है, रोमांच है, शोख़ी है, अल्हड़ता है... तो दूसरी तरफ पात्तया में एकांत है, सुकून है, आवारगी है, आलस है, निठल्लापन है। और जब ऐसा है तो फिर पात्तया का रुख़ करने से कौन रोके नौजवान जोड़ों को!! युवा मन... जो कभी बेपरवाह होकर बिखरना चाहता है, तो कभी रूमानी होकर ख़ुद में सिमटना चाहता है।

पात्तया की इस ख़ासियत के बारे में मैं तब तक नहीं जानता था जब तक मैंने यहां कदम नहीं रखा था; और कोई दूसरा भी शायद इसे तब तक न समझ पाए जब तक वो ख़ुद पात्तया न हो आए। अगर कोई यह सोचे कि छोटे-से शहर में इतना कुछ कैसे....तो उसके लिए यह जानना कहीं ज़्यादा हैरतख़ेज होगा कि यहां के विविध रंगों में सराबोर होने के लिए समंदर का किनारा ही काफी हैं, शहर की बात तो छोड़ ही दीजिए। पात्तया किस तरह क़दम-क़दम पे चोला बदलता है, इसका अहसास लेने के लिए आपको कुछ नहीं करना, बस उत्तर से दक्षिण की तरफ सागर के किनारे-किनारे चलते जाना है। कहीं नीले चमकदार पानी में अठखेलियां करती, कहीं महीन बालू में धूप-स्नान का मज़ा लेती, कहीं वाटर स्पोर्ट्स के रोमांच से दो-चार होती, तो कहीं अपने में मस्त होकर लहरों को आते-जाते निहारती युवाओं की भीड़ यह इशारा करने के लिए काफी है कि पात्तया उन्हें कितना रास आता है। दुनिया में शायद ही कोई दूसरा पर्यटन स्थल हो, जो पात्तया जैसी विविधता का मालिक होने का दम भर सके। और सबसे बड़ी बात यह कि थाईलैंड के अन्य शहरों की तरह पात्तया भी आपकी जेब पर भारी नहीं पड़ता। 
 
पात्तया का रेतीला सागरतट 10 किलोमीटर लंबा होता अगर बीच में प्रा ताम नाक पहाड़ी न होती। प्रतम नाक पहाड़ी को आमतौर पर पात्तया हिल कहा जाता है, जो इस सागरतट को दो हिस्सों में बांटती है- पात्तया बीच और जोमतीन बीच। पहाड़ी के उत्तर में जो चार किलोमीटर लंबा अर्धचंद्राकार तट है वो पात्तया बीच है; पहाड़ी के दक्षिण में छह किलोमीटर लंबा, सीधा तट जोमतीन बीच कहलाता है। पात्तया में रात और दिन के मिज़ाज अलग-अलग हैं। इसकी रातें अगर सड़कों और गलियों में अंगड़ाई लेती हैं, तो दिन अमूमन समंदर किनारे गुलज़ार होते हैं। और अगर कोई इसके दोनों सागरतटों पर होने वाले अनुभव को चश्मा बनाकर देखे तो उसे साफ नज़र आ जाएगा कि दोनों का मिज़ाज भी एक-दूसरे से बिल्कुल उलट है। पात्तया बीच पर जहां हल्ला-गुल्ला अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज़ कराता है, वहीं जोमतीन बीच पर चुप्पी टहलकदमी करती दिखाई देती है।
पात्तया बीच की सारी अर्धचंद्राकार गोलाई पाम के ख़ूबसूरत पेड़ों से घिरी है। इन पेड़ों के साये में तट के उत्तरी छोर से दक्षिण में पात्तया हिल की तरफ चलना शुरू करेंगे तो चंद क़दमों पर दुनिया बदलती नज़र आएगी; उत्तरी छोर पर शांति का आलम है जो पात्तया हिल तक आते-आते कोलाहल में बदल जाता है। यहां की असल नाइटलाइफ पात्तया बीच के दक्षिणी छोर के आस-पास ही सांस लेती है। बेहद कम दाम में लज्जतदार भोजन करना हो, रेत में बैठकर बीयर की चुस्कियां लेनी हों, या फिर छोटी दुकानों व फड़ियों पर मोल-भाव करते हुए शॉपिंग का लुत्फ़ उठाना हो, तो यकीन मानिए कि पात्तया बीच से बेहतर कोई जगह नहीं है। वाटर स्पोर्ट्स के लिहाज से भी पात्तया बीच एक बढ़िया ठिकाना है, लेकिन यदि समंदर के सीने पर असल रोमांच से रू-ब-रू होना है तो पात्तया हिल के उस पार चलते हैं। 
अब हम जहां पहुंचे है यह जोमतीन बीच है- पात्तया बीच के मुकाबले बेहद सुकूनदायक और खुला-खुला। छह किलोमीटर तक चांदी की तरह चमकती रेत और पैरों में आकर सलाम करतीं नीली नमकीन लहरें... हनीमून पर निकले लोगों के लिए जोमतीन बीच पहली पसंद है। यहां नौकाओं की भीड़ कम है, मगर जेटस्की, पैराग्लाइडिंग, स्नोकर्लिंग और विंडसर्फिंग जैसी उत्तम श्रेणी की जल-क्रिड़ाएं ललचाए बिना नहीं छोड़तीं। सागरतट पर असीम शांति का अहसास होता है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि आप शहर की चहल-पहल से दूर हैं। इस सागरतट का उत्तरी छोर जहां से शुरू होता है, वहां हमेशा वाहनों से भरी रहने वाली ताप परया रोड ख़त्म होती है और जोमतीन बीच रोड शुरू होती है। पात्तया बीच की तरह यहां की बीच रोड पर भी खाने-पीने के बेहतरीन ठिकाने हैं। लेकिन पात्तया बीच के उलट यहां की इमारतें भव्य हैं और इस इलाक़े की रईसी शान की गवाही देती हैं।

अगर आप हनीमून पर हैं, और जोमतीन बीच पर भी आप सुकून का अहसास नहीं कर पा रहे हैं तो फिर पात्तया से थोड़ा बाहर नाक लुआ और वोंग अमात के विकल्प आपके पास हैं। ये दोनों छोटे-छोटे बीच पात्तया बीच के उत्तरी छोर से भी आगे हैं। वहां के लिए नॉर्थ रोड पर डॉल्फिन चौक से टुक-टुक चलते हैं। यहां भीड़ ना के बराबर है, वाटर स्पोर्ट्स भी नहीं है, और दुकानों की तादाद बेहद कम है। तैरने और एकांत के आराम फ़रमाने के लिए ये दोनों उम्दा जगहें हैं। अगर आपको लगता है कि पात्तया में कुछ तो है जो छूट रहा है, तो उसकी भरपाई ये दोनों सागरतट बख़ूबी कर देते हैं।

काम की बातें
  • पात्तया बीच का इलाक़े में देर रात तक शोर-शराबा रहता है, इसलिए हनीमून पर हैं तो जोमतीन बीच के किनारे पर ही ठिकाना तलाशें।
  • पात्तया हिल पर कई स्तरीय होटल व लॉज हैं। ऊंचाई से समंदर का नज़ारा भी देखने लायक है।
  • इस शहर का असली मज़ा इसकी तासीर में घुल-मिल जाने में है। सोच को खुला रखें, आनंद की हवा तरो-ताज़ा करती रहेगी।
  • पात्तया की वाटर स्पोर्ट्स थाईलैंड में अव्वल हैं। सुरक्षा व गुणवत्ता के हिसाब से ये दुनियाभर में जानी जाती हैं। 
यह यात्रा वृतांत  'दैनिक भास्कर' के हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली संस्करणों के साप्ताहिक परिशिष्ट 'रसरंग' के 12 फरवरी 2012 के अंक में प्रकाशित हुआ है।

Comments

बहुत अच्छा यात्रा संस्मरण, अभी पूरा पढ़ना बाकी है। फिर लौटती हूं इस पर। शीर्षक का चयन बहुत अच्छा।

Popular posts from this blog

ख़ामोशी के शब्द

हमला हमास पर या फलस्तीनियों पर?

बिल्लू! इतना इमोशनल अत्याचार किसलिए रे..