क्या होगा अतुल्य भारत का?

मेरा यह आलेख 30 सितंबर को 'दैनिक भास्कर 'के चंडीगढ़, पंजाब व हरियाणा संस्करणों में प्रथम संपादकीय के रूप में प्रकाशित हुआ है।

अतिथि देवो भव की परपंरा की दुहाई देने वाले देश में एक और विदेशी सैलानी से बलात्कार! चंडीगढ़ के एक होटल के बाहर से अगवा की गई जर्मन युवती के साथ हुए इस हादसे से जहां इस सूची में एक और नाम जुड़ गया है, वहीं सरकार में बैठे उन लोगों की पेशानी पर चिंता की लक़ीरें गहरी होना भी लाज़िमी है जो दुनिया की सामने भारत को सुरक्षित एवं बेहतर पर्यटन केंद्र के रूप में पेश करने और एक दशक के भीतर भारत में विदेशी सैलानियों की संख्या पांच गुणा करने की जुगत में हैं। पिछले दिसंबर में पर्यटन मंत्रालय की ओर से जारी एक्शन प्लान में कहा गया था कि भारत आने वाले विदेशी सैलानियों का आंकड़ा वर्ष 2017 के खत्म होते तक 2 करोड़ 50 लाख तक ले जाना है, जो अभी तक 50 लाख पर है। लेकिन साल के शुरू से लेकर अब तक विदेशी महिला पर्यटकों की हत्या, बलात्कार व यौन उत्पीड़न की आधा दर्जन घटनाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली किरकिरी इस मक़सद के रास्ते का कितना बड़ा रोड़ा बनेगी, इसका अंदाज़ा इससे लगा सकते हैं कि अमेरिकी व ब्रिटिश सरकारों ने जनवरी में अपने लोगों से साफ कहा था कि वे भारत घूमने की योजना बना रहे हैं तो वहां अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहें। ऐसी चेतावनी किसी भी देश के लिए बदनुमा दाग़ से कम नहीं आंकी जा सकती। इस चेतावनी और भारत आने वाले सैलानियों के साथ हुए हादसों पर विदेशी मीडिया ने खुलकर लिखा। सवाल यह है कि विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर अपनी नागरिक के साथ हुए इस हादसे और पहले भी जर्मन महिलाओं पर हुए यौन अपराधों के मद्देनज़र वहां की सरकार भी ऐसी चेतावनी जारी कर दे तब क्या होगा?

भारत आने वाले सैलानियों में बड़ा हिस्सा जर्मन लोगों का है। वर्ष 2006 के आंकड़ों के मुताबिक, संख्या की दृष्टि से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा व फ्रांस के बाद जर्मनी के सैलानियों का पांचवां स्थान है। वर्ष 2003 में यह सातवां और वर्ष 2004 2005 में यह स्थान छठा था। यानी, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जर्मन सैलानियों का योगदान बढ़ रहा है। लेकिन शनिवार रात चंडीगढ़ में हुई घटना उन्हें भारत आने के लिए हतोत्साहित कर सकती है। इससे पहले मार्च 2006 में उड़ीसा के डीजीपी के बेटे द्वारा जर्मनी की रिसर्च स्कॉलर के साथ अलवर में किए बलात्कार की घटना, मार्च 2005 में जोधपुर में एक ऑटोरिक्शा चालक व उसके साथी द्वारा 47 वर्षीय जर्मन महिला से बलात्कार और इस साल मार्च में गोवा में समुद्रतट पर जर्मन महिला के बलात्कार के प्रयास की घटनाओं को भी विदेशी ख़ासकर जर्मन सैलानी नहीं भूले होंगे। ऐसे में क्या भारत सरकार को अपने `अतुल्य भारत´ अभियान का चेहरा बिगड़ने से बचाने और दुनिया के सामने भारत को एक सुरक्षित देश के रूप में पेश करने के लिए कड़े कदम नहीं उठाने चाहिए? अपने मेहमानों को ही अपना शिकार बनाने वाले अपराधियों का हौसला तोड़ने के लिए अलग से सख्त सजा देने का प्रावधान एक शुरुआती उपाय या कम-से-कम एक बड़ी बहस का विषय ज़रूर हो सकता है, पर यहां हमें यह भी सोचना होगा कि चंद लोगों के ऐसे कृत्य कहीं हम भारतीयों को विदेश जाने पर वहां के लोगों की हिकारत भरी नज़रों का निशाना बनने पर मजबूर न कर दें।

Comments

Manoj Pamar said…
१२ अगस्त और फिर एक अक्टूबर...ब्लॉगर्स और विशेषकर दोस्तों के साथ यह बहुत बड़ी नाइंसाफी है, क्योंकि आप जैसा संजीदा लेखक नियमित लेखन नहीं करेगा, तो ब्लॉग पर सर्वश्रेष्ठ कैसे आ पाएगा। आपके संपादकीय में विदेशी सैलानियों से जुड़े मुद्दे को काफी बेहतर ढंग से उठाया गया है।
आपको बधाई इस उम्मीद के साथ ही आपके ब्लॉग पर नियमित कुछ न कुछ पढ़ने को जरूर मिलेगा।

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