बादलों के पार, रोमांच का संसार

मलेशिया जाने का मौका मुझे पहले दो बार मिला था, पर दोनों बार छह-छह घंटे के लिए ही वहां पर रुक पाया था। ऐसे में एक दिन एयर एशिया का नया ऑफर दिखा तो आनन-फानन में टिकट बनवा ली। मुंबई से कुआलालम्पुर आना-जाना आठ हज़ार में! और मलेशिया प्रवास के दूसरे ही दिन इतनी ख़ूबसूरत जगह पर जाने का मौका मिला कि बाकी यात्रा भी ख़ुशगवार हो गई।

मेरा दिल मुझे अपनी पसलियों पर तबला बजाता लग रहा था; पेट में अजीब-सी ऐंठन महसूस हो रही थी; होंठ लगातार ऊपरवाले का नाम बुदबुदा रहे थे। बस, पसीना नहीं आया था क्योंकि मौसम ठंडा था, शाम भी हो चली थी, और कुछ देर पहले हुई बूंदाबांदी ने पारा थोड़ा और गिरा दिया था। मुझे खड़ी ऊंचाई से डर लगता है, और उस समय मैं अपने इसी डर से जूझने जा रहा था। मेरे अंदर के हाल-चाल का सीधा प्रसारण शायद मेरे चेहरे पर हो रहा था। मेरी हालत देखकर वहां खड़ी परिचारिका हल्का-सा मुस्कराई और उसने मेरी सेफ्टी बेल्ट को लॉक कर दिया।

स्पेस शॉट का रोमांच अविस्मरणीय है।
उस वक़्त मैं मलेशिया के गेंटिंग में पहाड़ियों की गोद में बसे रिज़ॉर्ट वर्ल्ड में था और वहां से सबसे रोमांचकारी झूले स्पेस शॉट पर तूफानी रफ्तार से 185 फीट की ऊंचाई तय करने को तैयार था। मेरी हालत पतली हुई जा रही थी, पर इस रोमांच से रू-ब-रू होकर लौट रहे लोगों के दमकते चेहरे देखकर यह जान चुका था कि कुछ पलों बाद मैं एक अविस्मरणीय अनुभव से गुज़रने वाला हूं। मैं एक चौकोर मीनार के चारों तरफ लगी 12 कुर्सियों में से एक पर बंधा था। अचानक हल्का-सा झटका लगा और मैं कमान से छूटे तीर की तरह आसमान की तरफ बढ़ चला। पांव हवा में झूल रहे थे। लगा, मैं उड़ा जा रहा हूं। ऊपर जाकर कुछ क्षण के लिए कुर्सियां स्थिर हो गईं। अब तेज़ी से नीचे आने की बारी थी। इतनी तेज़ी से कि मुक्त होकर गिरने का अहसास हो।

इस झूले का रोमांच तो अद्भुत था ही, ऊपर जाकर कुछ क्षण रुकने के दौरान जो नज़ारा दिखा, वो अकल्पनीय था। गेंटिंग के बारे में एक वाक्य मेरी निगाहों से कई बार गुज़रा था- फन सिटी अबव द क्लाउड्स। यानी, बादलों के ऊपर मस्ती का नगर। नवंबर के दूसरे हफ्ते में, लोहे की उस मीनार से बंधी कुर्सी पर 185 मीटर की ऊंचाई पर बैठे समय यह वाक्य मेरे सामने हू-ब-हू साकार हो चुका था। चारों तरफ बादलों का दरिया था, और उस दरिया के बीच से निकलती पहाड़ की चोटी और चोटी पर बसा यह रंग-बिरंगा रिज़ॉर्ट। जैसे किसी चित्रकार ने एक तस्वीर बनाकर उसमें जान फूंक दी हो। और जब तक मैं झूले से उतरकर आगे बढ़ा, तब तक मैंने इस जगह के लिए मन-ही-मन नई इबारत गढ़ ली थी, और वो थी- बादलों के पार, रोमांच का संसार।

रस्सी पर झूलने के वो 12 मिनट
वैसे इस बात का कुछ-कुछ अंदाज़ा मुझे कुआलालम्पुर से दो घंटे की दूरी पर बसे इस रिज़ॉर्ट तक पहुंचते-पहुंचते हो चुका था कि मेरे लिए वह यादगार दिन होने जा रहा था। रास्तों की ख़ुशगवारी ने एहसास करवा दिया था कि मंज़िल पर रवानी कैसी होगी। रिज़ॉर्ट के बेस स्टेशन तक पहुंचने के लिए मैंने पुदू सेंट्रल से बस ली थी। पुदू सेंट्रल मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर के पांच बड़े बस स्टेशनों में से एक है। कुआलालम्पुर में मैं चाइना टाउन इलाके ठहरा था, जहां बैकपैकर हॉस्टल काफी तादाद में हैं। कम बजट के मुसाफिरों को यहां बेहद कम किराए में चारपाई मिल जाती हैं, और यहां से पुदू सेंट्रल तक पैदल जा सकते हैं। पुदू सेंट्रल से गो गेंटिंग नामक आरामदायक वातानुकूलित बस की दिनभर में 18 सेवाएं हैं, जिसका एक ओर का टिकट 9.3 रिंगित यानी लगभग 155 रुपए है। इसमें कुआलालम्पुर से केबल कार के बेस स्टेशन तक बस का सफ़र और बेस स्टेशन से केबल कार के अपर स्टेशन तक केबल कार का सफ़र शामिल है।

गेंटिंग का रोमांच केबल कार में बैठने के साथ ही शुरू हो जाता है। इसका नाम गेंटिंग स्काईवे है और 21.6 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से चलने वाली यह दुनिया की सबसे तेज़ मोनोकेबल कार है। पहाड़ों के ऊपर से और बादलों के बीच से 3.38 किलोमीटर का सफ़र 10 से 12 मिनट का है, और यह इतना रोमांचक है कि पलक झपकाने तक का मन न करे। बेस स्टेशन से निकलते ही ट्रॉली ऊंचाई लेने लगती है। तकरीबन आधा सफ़र तय करने के बाद बेहद तीखी चढ़ाई है। बीचो-बीच पहुंचकर आगे-पीछे निगाह डालो तो पहाड़ों की हरियाली और बादलों की सफ़ेदी के बीच नज़र आती है ट्रॉलियों की लंबी क़तार। इस नज़ारे को हमेशा के लिए ज़हन में कैद कर लेने के अलावा कोई विकल्प मेरे पास नहीं था। मेरे लिए ऊंचाई का डर यहां भी था, पर केवल शुरू-शुरू में। बाद में आस-पास के नज़ारों ने इतना बांध लिया कि डर को मन में घर बनाने का मौका ही नहीं मिला।

छह हज़ार फीट पर बसाया शहर
केबल कार से उतरने के बाद मैं लाउंज में पहुंचा तो कुछ पलों के लिए वहां भ्रमित खड़ा रहा। लाउंज से दो रास्ते निकल रहे थे, और वहां ऐसा कोई संकेत नज़र नहीं आया कि किस तरफ जाया जाए। ऐसे में काम आया रिज़ॉर्ट वर्ल्ड का नक्शा, जो वहीं लाउंज में मेरे हाथ लगा। नक्शे से पता चला कि जिस लाउंज में मैं खड़ा था, वो वहां के पांच होटलों में से एक हाईलैंड्स होटल का एक कोना था जहां केबल कार स्टेशन बना है। इस नक्शे ने गेंटिंग के बारे में मेरे अनुमान को भी ग़लत साबित कर दिया था। जितना मैंने सोचा था, उसके मुकाबले गेंटिंग कहीं ज्यादा बड़ा है। यहां समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर एक छोटा शहर आबाद है, जहां दो मनोरंजन पार्क के अलावा एक प्लाज़ा, दो कैसिनो, कई स्पोर्ट्स बार व डिस्कोथेक, कन्सर्ट हॉल, अवाना गेंटिंग हाईलैंड्स नाम का रिज़ॉर्ट और पांच होटल- फर्स्ट वर्ल्ड होटल, थीम पार्क होटल, रिजॉर्ट होटल, हाईलैंड्स होटल और मैक्सिम्स गेंटिंग होटल- मौजूद हैं। इन होटलों में 10 हज़ार से ज़्यादा कमरे हैं। इनमें से अकेले फर्स्ट वर्ल्ड होटल में 6118 कमरे हैं; कमरों की संख्या के हिसाब से यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा होटल है। गेंटिंग का इनडोर थीम पार्क इसी होटल के नीचे बने प्लाज़ा में है, जिसमें थीम पार्क के अलावा शॉपिंग मॉल, आर्केड्स, फूड आउटलेट्स, कैसिनो और द पैवेलियन नामक ऑडिटोरियम हैं। सभी होटलों में से थीम पार्क होटल सबसे पुराना है, जो 1971 में तैयार हुआ था। असल में, रिज़ॉर्ट वर्ल्ड बनने की शुरुआत इसी होटल से हुई थी। यानी, गेंटिंग में बनने वाली यह पहली इमारत थी। जब आप आउटडोर थीम पार्क के मुख्य प्रवेशद्वार पर पहुंचेंगे तो दाईं तरफ यह होटल नज़र आ जाएगा।
फर्स्ट वर्ल्ड होटल जो कमरों की संख्या के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा होटल है।

तीन से लेकर छह सितारा मेहमाननवाज़ी
गेंटिंग के लिए मैंने कुआलालम्पुर में कुछ लोगों से जानकारी लेनी चाही तो दो-तीन नकारात्मक टिप्पणियां भी सुनने को मिलीं। मसलन... क्या करेंगे जाकर, पैसा और वक़्त ख़राब ही करेंगे। लेकिन मैं हर जगह का अनुभव लेना चाहता था। ऊपर से, जब हर साल गेंटिंग आने वाले लोगों की तादाद के बारे में पढ़ा तो यहां की लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाना मेरे लिए मुश्किल नहीं था। हर साल करीब 2 करोड़ लोग आते हैं यहां पर। बाप रे.....! इतनी बड़ी संख्या में किसलिए आते हैं लोग, इसका अंदाज़ भी मुझे वहां जाकर हुआ, जब एक दिन का समय मुझे कम लगने लगा। 60 से ज़्यादा राइड्स, 170 से ज़्यादा फूड एंड शॉपिंग आउटलेट्स, हर तरह मनोरंजन के साधन, और साथ ही हर बजट के अनुकूल रहने के ठिकाने!

चलिए, पहले रहने के ठिकानों की बात करते हैं। यहां के फर्स्ट वर्ल्ड और थीम पार्क, ये दोनों होटल तीन सितारा हैं और यहां कमरों का किराया सबसे कम है। एक कमरे का किराया 150 रिंगित से शुरू हो जाता है। ऑनलाइन बुकिंग करो तो 10 फीसदी की छूट है। किराये के हिसाब से देखें तो इनके बाद रिजॉर्ट होटल आता है जो चार सितारा है। इसके बाद पांच सितारा हाईलैंड्स होटल है। सबसे महंगा है पांच सितारा मैक्सिम्स गेंटिंग होटल। यह प्रीमियम रेंज का होटल है जो शान-शौकत पसंद करने वालों का ठिकाना है। असल में यह दो होटलों का समूह है, जिनमें से पांच सितारा गेंटिंग होटल पुराना है, जबकि इसके ऊपर बाद में बनाया गया मैक्सिम्स क्लब छह सितारा है। सुपर-पीक सीजन में मैक्सिम्स के सिग्नेचर सुइट का एक दिन का किराया 5225 रिंगित यानी लगभग 86 हज़ार रुपए है। इन पांचों होटलों में 35 से ज़्यादा रेस्तरां, कैफे, बार तथा बेकरी हैं। यानी, स्वाद व इच्छा के मुताबिक किसी को कुछ भी चाहिए तो गेंटिंग उसे निराश नहीं करेगा। लंच के लिए मैंने चुना मैक्सिम्स गेंटिंग होटल का कॉफी टेरेस रेस्तरां, जहां बफे सिस्टम है। यहां पर लंच है 53 रिंगित और डिनर 61 रिंगित का। पर खाने की क्वालिटी, स्वाद और वैरायटी के मुकाबले यह कीमत कुछ भी नहीं। इस रेस्तरां में अपने छह सितारा अनुभव का ज़िक्र मैं आगे करूंगा। 

मलेशिया का लास वेगास
ज़्यादातर लोग यही नाम देते हैं गेंटिंग को। मलेशिया में यह अकेली जगह है जहां जुआघरों की अनुमति है। यहां दो जुआघर हैं। कैसिनो दे गेंटिंगनामक मुख्य जुआघर गेंटिंग होटल, हाईलैंड्स होटल व रिज़ॉर्ट होटल से जुड़ा है। इसकी ख़ासियत यह है कि यहां मनोरंजन की सुविधाएं लास वेगास जैसी हैं और लगभग हर तरह के गेम्स यहां हैं। दूसरा जुआघर फर्स्ट वर्ल्ड होटल में है जिसका नाम स्टारवर्ल्ड है। इन जुआघरों में मलेशिया के मुस्लिम नागरिकों के अलावा हर किसी को किस्मत आजमाने की अनुमति है।

रिज़ॉर्ट वर्ल्ड का आउटडोर थीम पार्क
डूब गए तो फिर डूबते जाइए
थीम पार्क में समय कब गुज़र जाता है, इसका अहसास ही नहीं हो पाता। शाम के छह बज चुके हैं, इसका पता मुझे तब लगा जब मैं आउटडोर पार्क में फनकार्ट राइड के लिए पहुंचा। मुझे बताया गया कि छह बजे गए हैं और अब राइड्स बंद हो गई हैं। मन मसोस कर वहां से निकलने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। हफ्ते के पहले पांच दिन आउटडोर पार्क शाम छह बजे तक और बाकी दो दिन देर शाम तक खुला रहता है, जबकि इनडोर पार्क रात 12 बजे तक खुला रहता है। ये दोनों पार्क गेंटिंग का मुख्य आकर्षण हैं। आउटडोर पार्क का टिकट 50 रिंगित का है और इसमें 29 राइड्स शामिल हैं। वहीं, इनडोर पार्क का टिकट 30 रिंगित का है जिसमें 12 राइड्स हैं। इनमें कुछ राइड्स बच्चों के लिए, कुछ पूरे परिवार के लिए, तो कुछ सिर्फ उनके लिए हैं जो रोमांच के शौकीन हैं और जिनके दिल मज़बूत हैं। आउटडोर पार्क में रोमांच वाली राइड्स ज़्यादा हैं, जबकि इनडोर पार्क की ज़्यादातर राइड्स परिवार के लिए हैं। अगर दोनों पार्क में राइड्स का मज़ा लेना है तो 66 रिंगित का ऑल पार्क टिकट लेना बेहतर रहेगा।
फर्स्ट वर्ल्ड होटल के नीचे बने प्लाज़ा का नज़ारा। इनडोर थीम पार्क इसी प्लाज़ा में स्थित है।
पार्क में मुझे हर जगह टिकट दिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। जब मैंने पहली बार पार्क में प्रवेश किया तो मेरी कलाई पर वाटरप्रूफ बैंड बांध दिया गया, जिसने हर जगह पास का काम किया। लेकिन मैं सभी राइड्स का मज़ा नहीं ले पाया। मैं सुबह 11 बजे गेंटिंग पहुंचा, जबकि मुझे ढाई-तीन घंटे पहले पहुंचना चाहिए था। दूसरा यह कि मैं पहले इनडोर पार्क पहुंच गया, जबकि आउटडोर पार्क के बंद होने के बाद भी यह छह घंटे और खुला रहता है।

पोटली में भी बंधा है कुछ माल
रोमांच के अनूठे स्तर को महसूस करना है तो स्काईवेंचर से बेहतर कुछ नहीं। गेंटिंग के दोनों थीम पार्कों में कुछ सिग्नेचर राइड्स भी हैं जिनके लिए अलग से टिकट है। उन्हीं में से एक है स्काईवेंचर, जिसमें कांच की सुरंग में 193 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा फेंकी जाती है। सुरंग में जाने वाले को वो अहसास होता है जो विमान से गोता लगाने वाले को पैराशूट खुलने से ठीक पहले होता है... हवा में ऊंचाई से गिरने का अहसास। यहां टिकट 50 रिंगित का है, और यदि आपके पास ऑल पार्क टिकट है तो स्काईवेंचर की टिकट 38 रिंगित में मिलेगी। इसके अलावा, एक अन्य ख़ास आकर्षण है स्नोवर्ल्ड। 25 रिंगित में आप कुछ समय बर्फ की दुनिया में बिता आएंगे। स्नो बूट व जैकेट पहनकर स्नोवर्ल्ड में प्रवेश करेंगे तो लगेगा किसी ध्रुवीय इलाके में आ गए हैं।

थीम पार्क और सिग्नेचर राइड्स के अलावा भी कई तरह के मनोरंजन हैं गेंटिंग में। वीडियो गेम्स पार्क में आप सिमुलेशन का मज़ा ले सकते हैं, तो साइबरवर्ल्ड पर वर्चुअल गेम्स खेलकर वक़्त बिता सकते हैं। कहीं तीरंदाज़ी में हाथ आज़मा पाएंगे, तो कहीं बॉलिंग का आनंद ले सकेंगे। सिनेप्लेक्स में नई फिल्में देखने को मिलेंगी, तो रिप्लेज़ म्यूज़ियम और हॉन्टेड एडवेंचर में आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। कलाकारी का अनूठा नमूना देखना है तो बेरिलज़ चॉकलेट वंडरलैंड हो आएं। इसी तरह, एक्सपीडिशन वॉल पर रॉक-क्लाइंबिंग का अभ्यास करने का भी अगल मज़ा है। 

गोल्डन पैकेज में पावर-पंच लंच
छह सितारा मैक्सिम्स गेंटिंग होटल का कॉफी टेरेस रेस्तरां।
मनोरंजन पर चर्चा तो ख़ूब हो गई, अब पेट का भी ख़याल कर लेते हैं। लेख के बीच में मैंने कहा था कि बाद में कॉफी टेरेस में चलेंगे। तो चलिए, ले चलता हूं। अरे...यह क्या!!! मैं कहां आ गया हूं। यहां की चमक से तो आंखें चुंधिया रही हैं। हल्की पीली रोशनी में जगमगाते इस गोलाकार डाइनिंग हॉल में आकर मेरी भूख झट से ताड़ के पेड़ पर जा चढ़ी है। तिस पर, नाना प्राकर के व्यंजन परोसतीं छह तरह की रसोइयां। एक तरफ जापानी, भारतीय और कॉन्टिनेंटल भोजन; तो दूसरी तरफ चाइनीज़, मलय और बाबा न्योन्या (चीनी-मलय संकर) खाने का स्वाद। और मेरे लिए यह सब 53 के बजाय सिर्फ 28 रिंगित में!!! गोल्डन पैकेज ने तो कमाल कर दिया। 

जी हां !!! गेंटिंग रिज़ॉर्ट वर्ल्ड जाने वाले ज़्यादातर लोगों की तरह मेरी योजना भी वहां से रात में कुआलालम्पुर लौटने की थी। ऐसे में गोल्डन पैकेज से बेहतर मुझे कुछ नहीं लगा। 47 रिंगित कीमत के इस पैकेज में आने-जाने के किराये के अलावा आउटडोर पार्क का टिकट या कॉफी टेरेस रेस्तरां में लंच शामिल था। यह पैकेज मैंने बस का टिकट लेते समय ही ले लिया था। चूंकि मैंने ऑल पार्क टिकट अलग से लिया था, इसलिए अपने पैकेज पर मैंने कॉफी टेरेस में लज्ज़तदार खाने का आनंद लिया। आने-जाने का किराया निकालकर, लंच 28 रिंगित में पड़ा। कॉफी टेरेस में खाना सीधे-सीधे स्वाद के सागर में गोते लगाना है। जगह-जगह के व्यंजन चखने के बाद मेरा पेट ज़रूर भर गया, लेकिन मन नहीं भर पाया। यदि आप गोल्डन पैकेज लेकर जाते हैं तो बेहतर है लंच का आनंद लें, क्योंकि वहां का अनुभव आपके कुछ यादगार लम्हों में ज़रूर शामिल हो जाएगा।
 
चलने से पहले
1. मलेशिया की मुद्रा रिंगित है, जिसका वर्तमान विनियम मूल्य 16.50 रुपए के आस-पास है।

2. गो गेंटिंग बसें कुआलालम्पुर के पांचों बस स्टेशनों से चलती हैं, मगर हर स्टेशन पर सेवाओं की संख्या अलग है।

3. ब्रॉशर में आउटडोर थीम पार्क के बंद होने का समय शाम 7 बजे लिखा गया था, जबकि पार्क 6 बजे बंद कर दिया गया। बेहतर यही है कि टिकट लेते समय पूरी जानकारी ले लें।

4. वापसी पर बस के समय से कम-से-कम पौना घंटा पहले गेंटिंग से ज़रूर चल पड़ें। कहीं भी होंगे तो भी, केबल कार के अपर स्टेशन तक पहुंचने में 10 मिनट लग जाएंगे। वहां भीड़ हुई तो बारी आने में 15 मिनट लग सकते हैं। आगे, केबल कार से बेस स्टेशन तक 12 मिनट का। इसलिए, समय की गुंजाइश लेकर चलें।
यह यात्रा वृतांत 'दैनिक जागरण' के मासिक परिशिष्ट 'यात्रा' के दिसंबर 2011 अंक में प्रकाशित हुआ है।

Comments

Pradeep Bhatt said…
Wish that one day I could also experience the beauty on earth...
Hope you will accompany me..!!
Ajay Garg said…
ज़रूर.... साथ चलेंगे!!!

Popular posts from this blog

ख़ामोशी के शब्द

हमला हमास पर या फलस्तीनियों पर?

बिल्लू! इतना इमोशनल अत्याचार किसलिए रे..